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बेसिक कम्प्यूटर कोर्स
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फास्ट सी एस सी फतेहाबाद
बेसिक कम्प्यूटर कोर्स Basic Computer Course Or Basic concepts of Computer (BCC)
B - Basic
C - Computer
C - concepts
Computer Course Or Basic concepts of computer
कम्प्यूटर बेसिक ज्ञान
BCC COURSE TRAINING VIDEOS
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हम बात करते हैं Computer सीखने के बारे में तो हम शुरू करने से पहले आपको बता दें कि कंप्यूटर में क्या सीखना आवश्यक है कई बार आप किसी कोचिंग क्लास या Computer class में हजारों रुपये और समय बेकार हो जाता है परन्तु इतना कुछ भी नहीं सीख पाते जिसकी आपको ज़रूरत होती है |
मित्रों
computer की Jobs में आप को कई तरह के कार्य करने पड़ सकते हैं जैसे typing, scanning, data entry, photo editing आदि। यदि आप इस प्रकार की जॉब करना चाहते हैं तो आपको मुख्य रूप से बेसिक सीखना जरूरी है कंप्यूटर बेसिक मे MS Office, Paint, Photoshop के साथ-साथ Typing का भी अच्छा ज्ञान होना चाहिए और Internet का भी ज्ञान होना ज़रूरी है |
बेसिक कम्प्यूटर कोर्स Basic Computer Course Or Basic concepts of computer सरकार दुवारा मूलभूत रुप से तैयार किया पाठ्क्रम है जिसको हर सरकारी नौकरी के अनुरूप बनाया गया है | आजकल हर सरकारी नौकरी के लिए बेसिक कम्प्यूटर कोर्स अनिवार्य कर दिया गया है जिसमें अधिकतर SETC के तहत आने वाले संसथानो के कोर्स को पहल के आधार पर मान्यता दी जाती है जिनमे CSC ACADEMY, SECT,HKCL,HARTRON etc. प्रमुख है |
यह सभी जानते हैं की हर सरकारी या गैरसरकारी कार्यलय या विभाग में कार्य का अगल अलग प्रारूप होता है या यूँ कहें की अलग तरह का कार्य होता है उस स्थिति में यह भी सव्भाविक है कि वहा के कम्प्यूटर के कार्य भी अलग तरह के होते होंगे तथा में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर भी अलग तरह के होते होंगे | मगर बेसिक कोर्स वही एक रूप में ही होता है जिसने BCC कोर्स किया है उसके लिए किसी भा आफिस में कार्य करने का बेसिक ज्ञान अति जरूरी है रही सबंधित कार्यालय में कार्य करने की इसके लिए आपको हर कार्यालय अपने कार्यलय की ट्रेनिंग खुद मुहैया करवाता है | तो आपको इसे इतनी समझ में आ गयी होगी की किसी भी सरकारी संस्थान से Basic Computer Course Or Basic concepts of computer की क्या खासियत है |
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ पर्सनल कम्प्यूटर को इंटरनेट जैसी सुविधाओं से जोड़ा जा चुका है तथा नित नए आवश्यकतानुरूप सॉफ्टवेयरों के प्रवेश ने कम्प्यूटर के महत्व को बढ़ा दिया है, वहीं दूसरी ओर कम्प्यूटर के क्षेत्र में नए प्रवेश करने वालों के लिए कम्प्यूटर कोर्स का चयन करना एक समस्या है।
इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रवेश करने वालों के लिए यह एक प्राथमिकता भी है, क्योंकि रुचि एवं आवश्यकतानुरूप कोर्स का चयन न होने पर व्यक्ति के योग्यता पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। साथ ही व्यक्ति अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर सकेगा।
कम्प्यूटर कोर्स का चयन - कम्प्यूटर कोर्स का चयन करते समय सर्वप्रथम निम्न दो मुख्य बिदुओं पर निर्णय लिया जाना अत्यंत आवश्यक है।
1 -कम्प्यूटर कोर्स- शुरुआत में आपको यह समझना होगा को बेसिक कम्प्यूटर कोर्स हार्डवेयर कोर्स तथा सॉफ्टवेयर कोर्स में क्या फर्क है|
बेसिक कम्प्यूटर कोर्स शुरुआती कोर्स है जो कम्प्यूटर पर हर एक कार्य करने वाले के लिए आवश्यक है फिर चाहे वह निजी कम्प्यूटर चलाने वाला हो या किसी सरकारी या गैरसरकारी संस्थान में कम्प्यूटर का कार्य करना चाहता / चाहती हो | इस तरह किसी मकान का निर्माण करने केलिए उसकी मजबूत नींव की भराई की जाती है मजबत नींव के बिना मजबुत मकान बनाना असंभव है उसी कम्प्यूटर का बेसिक परिशिक्षण लिए बिना बड़े से बड़ा कम्प्यूटर कोर्स बेकार है |
2 -हार्डवेअर कोर्स - कंप्यूटर के भौतिक (Physical) भाग को हार्डवेयर कहा जाता है जैसे प्रोसेसर, रैम, जीपीयू, मॉनिटर, माउस आदि। जिसकी सहायता से हम कंप्यूटर का निर्माण करते है तथा इन्हें हम देख, स्पर्श और महसूस कर सकते हैं। हार्डवेयर को कंप्यूटर का शरीर और सॉफ़्टवेयर को उसकी आत्मा कह सकते हैं. सॉफ़्टवेयर का उपयोग इन हार्डवेयर को संचालित करने के लिए किया जाता है सॉफ़्टवेयर को देखा जा सकता है, लेकिन आप इसे शारीरिक रूप से छू नहीं सकते। उदाहरण के लिए, कंप्यूटर मॉनीटर का इसका उपयोग वीडियो देखने, गेम खेलने या स्क्रीन पे आये आउटपुट को पढ़ने आदि के लिए करते हैं और माउस का इस्तेमाल नेविगेट करने के लिए करते हैं।
हार्डवेयर वह है जिसके द्वारा कंप्यूटर उपयोगकर्ता के द्वारा दिए गये इनपुट को प्रोसेस करता है और हमे आउटपुट देता है। प्रोसेसर (CPU) के द्वारा ही कंप्यूटर डाटा और निर्देशो को प्रोसेस करता है और उस आउटपुट डाटा को रैम या हार्ड ड्राइव पर संग्रहित किया जा सकता है। एक साउंड कार्ड स्पीकर को ध्वनि प्रदान कर सकता है और एक वीडियो कार्ड मॉनिटर के लिए एक छवि प्रदान कर सकता है। यह सब हार्डवेयर है। हार्डवेयर का निर्माण कारखानों में होता है, जबकि सॉफ्टवेयर का निर्माण मनुष्य के सोच और रचनात्मकता के द्वारा होता हैं।
हार्डवेयर कोर्स की श्रेणी में उन कोर्स को सम्मिलित किया जाता है जो कम्प्यूटर को सुधारने एवं बनाने से संबंधित हैं। यदि आपकी रुचि कम्प्यूटर ऑपरेटिंग क्षेत्र में कार्य करने की न होकर टेक्निकल फील्ड में कार्य करने की है तो इस स्थिति में निःसंदेह कम्प्यूटर हार्डवेयर कोर्स की उपयोगिता की चर्चा की जाए तो यह एक निर्विवाद सत्य है कि कम्प्यूटर की माँग एवं सामान्य वर्ग में कम्प्यूटर की उपलब्धता के साथ ही कम्प्यूटर वैज्ञानिकों की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है। अतः इस क्षेत्र में इच्छुक व्यक्तियों के लिए रोजगार की पर्याप्त संभावना है।
कंप्यूटर हार्डवेयर कोर्स के पाठ्यक्रम (Curriculum For Computer Hardware Course)
• कंप्यूटर की हार्डवेयर संरचना (Computer Hardware Structure)
• माइक्रोप्रोसेस (Microprocessor)
• कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory)
• मदरबोर्ड : (Motherboard)
• कंप्यूटर पॉवर सप्लाई (SMPS)
• हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD)
• ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव (CD/DVD Drive)
• कीबोर्ड और माउस (Keyboard and Mouse)
• कंप्यूटर मॉनिटर (Monitor)
• कंप्यूटर असेमबल करना ( Assembling Computer)
• कंप्यूटर इनपुट आउटपुट पोर्ट और डिवाइसेस (I/O Ports and Devices)
• बायोस/सिमोस सेटअप करना (Setup BIOS/CMOS)
• प्रिंटर (Printer) के बारे में सीखें
• हार्डवेयर ट्रबलशुटिंग (Hardware Troubleshooting)
3 - सॉफ्टवेयर कोर्स - (क) डॉस बेस, (ख)विंडोज बेस- सॉफ्टवेयर कोर्स का उपयोग करते समय यह आवश्यक हो जाता है कि कोर्स का चयन इस प्रकार का हो जो कि वर्तमान समय की माँग के अनुरुप हो। वर्तमान में सभी जगह विंडोज बेस एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर ही आवश्यक कार्य किया जा सकता है जो कि वर्तमान आवश्यकता के अनुरुप हो। अतः कोर्स चयन में विंडोज बेस कोर्स को पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए।
पूर्व में सभी कार्य डॉस बेस एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर संपादित किए जा रहे थे जो कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में खरे नही उतरते हैं। डॉस बेस एवं विडोंज बेस प्लेटफॉर्म में वास्तविक अंतर यह है कि डॉस बेस कोर्स केरेक्टर मोड में कार्य करते हैं अर्थात डिजाइनिंग एवं ग्रॉफिकल कार्य के लिए डॉस बेस में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही फोंट परिवर्तन एवं साइज परिवर्तन की भी पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जबकि विंडोज ग्रॉफिक मोड पर कार्य करता है। अर्थात् इसमें वे सभी व्यवस्थाएँ पर्याप्त सुविधाओं के साथ उपलब्ध हैं जो कि डॉस बेस पर उपलब्ध नहीं हैं।